मित्रो नयी और पुरानी पेंसन योजना में कहा पेच अटका हुआ है ? यह जसवाल बहुत दिनों से कुछ पाठक मित्र हमसे पूछ रहे थे फिर आज हमने आपकी सारे सवालो का जवाब खोज लिया है | आशा करते है की आपको यह जानकारी पसंद आएगी
महत्वपूर्ण जानकारियाँ :
ओल्ड और न्यू पेंशन स्कीम के बीच का विवाद आज से नहीं है यह 2004 से चलता आ रहा है जब सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बंद कर दिया था। और इसपर तभी से विवाद चालू हो गया। विवाद तब ज्यादा जोर पकड़ता है जब चुनाव का समय होता है और बढ़ता ही जाता है।
वर्ष 2004 में जब सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बंद करके उसके जगह अंशदान पेंशन योजना शुरू की जिसे राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली(NPS) कहा जाता है। जहां कुछ राज्यों ने ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से लागू कर दिया है वहीं कुछ राज्यों में अभी भी इसे लागू करने के लिए विवाद चल रहा है। केंद्र सरकार का मानना है की इससे अर्थव्यवस्था डगमगा जाएगी। केंद्रीय वित्त आयोग के चेयरमैन ने ओल्ड पेंशन स्कीम को अन्यायपूर्ण माना है।
क्या है ओल्ड पेंशन स्कीम-
ओल्ड पेंशन स्कीम 2004 से पहले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन सरकार द्वारा दी जाती थी।
यह रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन पर आधारित होती थी।
इसमें रिटायर कर्मचारी के मृत्यु के बाद उसके परिजनों को भी पेंशन का प्रावधान था।
इसके तहत रिटायरमेंट के बाद मेडिकल बिल और मेडिकल भत्ता की रिम्बर्समेंट की सुविधा भी दी
जाती थी।
इस स्कीम के तहत रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी का 50% तक पेंशन के रूप में
दिया जाता था।
इसमें रिटायर हुए कर्मचारी को 20 लाख रुपए तक की gratuity amount दी जाती थी।
यह सरकारी खजाने द्वारा दी जाती थी।
क्या है नेशनल पेंशन स्कीम-
यह स्कीम 2004 जनवरी में सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू किया गया स्कीम है।
NSP में कर्मचारी अपने बेसिक सैलरी का 10% हिस्सा पेंशन के लिए देते हैं।
नयी स्कीम में GPF की सुविधा नहीं मिलती है।
यह स्कीम शेयर based होती है जिसमें कर्मचारी द्वारा लगाए गए NPS में लगाए गए पैसे को
share मार्केट में लगाया जाता है।
जहां पुरानी पेंशन स्कीम में वेतन का आधा पेंशन के रूप में मिलता था वहीं नयी स्कीम में आपको
कितनी पेंशन मिलेगी या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है।
इस स्कीम में Tax का भी प्रावधान है।
नयी और पुरानी पेंशन योजना मे अंतर –
दोनों ही स्कीम के कहीं नुकसान है तो कहीं फायदे जिससे बहुत से अंतर सामने आते हैं। पुरानी पेंशन योजना मे 6 महीने बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू होता है लेकिन नयी योजना में 6 महीने वाला महंगाई भत्ता लागू नहीं होता है। पुरानी योजना में रिटायरमेंट के समय पेंशन लेने के GPF में निवेश करने की जरूरत नहीं पड़ती है जबकि नयी योजना मे रिटायरमेंट के लिए पेंशन का लाभ लेने के लिए पेंशन प्राप्ति के फंड से 40% पैसा इन्वेस्ट करना पड़ता है।
केंद्र सरकार के साथ – साथ अर्थशास्त्रियों का कहना है की पेंशन योजना सरकार के खजाने पर बोझ डालती है, जिससे सरकार को दिवालियापन का शिकार होना पड़ सकता है। एनपीएस शेयर बाजार पर निर्भर रहता है अगर NPS में रिटर्न अच्छा रहा तो प्रोविडेंट फंड और पेंशन पुरानी पेंशन योजना की तुलना में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय अच्छी amount मिल सकती है।